दोस्तों आपको बता दे की धर्म ग्रंथों में दीपक या दीया जलाने का बड़ा महत्व बताया गया है. ऋगवेद की मानें तो दीप में देवताओं का तेज बसता है. दोस्तों यही कारण है कि पूजा-पाठ हो, कोई सांस्कृतिक उत्सव हो या फिर कोई त्योहार हम इन सब की शुरुआत दीप प्रज्वलित करके ही की जाती है. दोस्तों शास्त्रों के अनुसार पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान के दौरान दीपक जरूरी होता हैं जिसके बिना पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती हैं। लेकिन दोस्तों दीया जलाने जलाने से कुछ ऐसी बातें होती हैं जिनका बहुत ध्यान रखना पड़ता हैं।
दोस्तो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आपको बता दे की आरती करते समय सबसे पहले अपने ईष्टदेवता के चरणों की 3 बार आरती उतारनी चाहिए, इसके बाद 2 बार मुखारविंद से चरणों तक 3 बार ऊं की आकृति बनाते हुए आरती उतारनी चाहिए। दोस्तो इस तरह से आरती उतारने पर ही आरती पूरी मानी जाती है और इससे ईष्टदेव प्रसन्न होते हैैं जिसके कारण घर मे सुख शांति बनी रहती हैं।
शास्त्रों के अनुसार आपको बता दे की शाम के समय तुलसी के पौधे के नीचे दीपक जलाने का बहुत महत्व माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से को उस स्थान विशेष पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ता है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। लेकिन दोस्तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए की तुलसी में दीपक प्रज्वलित करते हुए उसे चावल का आसन देना चाहिए और रोज शाम को दीपक जलाना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार आपकी जानकारी के लिए बता दे की शनिवार को पीपल के नीचे दीपक हमेशा या तो सूर्यास्त के बाद या फिर सूर्योदय से पहले जलाना चाहिए। दोस्तों इसके साथ ही प्रत्येक अमावस्या को रात्रि में पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न होते हैं, जिससे घर में खुशहाली आती है। मान्यता है कि यदि नियमित रूप से लगातार 41 दिनों तक पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक प्रज्वलित किया जाए तो सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।